राशि स्वरूप
राशि – बारह राशि चक्र
(साइडेरियल) राशिचक्र एक कल्पित ३६० अंशों का वृत्ताकार पट्टा है (उष्णकटिबन्धीय राशिचक्र के समान), जिसे १२ समान भागों में विभक्त किया गया है। प्रत्येक द्वादशांश (३० अंश) को एक राशि कहा जाता है (संस्कृत: राशि अर्थात् ‘भाग’)।
ज्योतिष एवं पाश्चात्य राशिचक्र मापन-पद्धति में भिन्न हैं। यद्यपि समकालिक दृष्ट्या दोनों पद्धतियाँ समान प्रतीत होती हैं, तथापि ज्योतिष में प्रायः नक्षत्र राशिचक्र का उपयोग किया जाता है—जिसमें नक्षत्रों को स्थिर पृष्ठभूमि मानकर ग्रहगति का मापन होता है। इसके विपरीत पाश्चात्य ज्योतिष प्रायः उष्णकटिबन्धीय राशिचक्र ग्रहण करता है—जहाँ ग्रहगति का मापन वसन्त विषुव पर सूर्य की स्थिति के आधार पर किया जाता है।
भावचक्र: भाव
भावचक्र: भाव
कुंडली के 12 भावों का परीक्षण। ये लग्न से माने गए भाव हैं जिसे प्रथम भाव माना जाता है।
परिणामों का निर्णय
भावों के निर्णय में शामिल सिद्धांतों को समझना। इसमें भावों का कल्याणऔर विनाश – कारण शामिल हैं।