नक्षत्र

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अश्विनी

 संजय रथ  मई 19, 2014

अश्विनी राशि चक्र का पहला नक्षत्र है जिसका विस्तार 0°-0′-0″ से 13°-20′ तक है और इसका स्वामी केतु है। पूरा अश्विनी नक्षत्र मेष राशि में आता है, जिसका स्वामी आक्रामक और उग्र ग्रह मंगल है। हालाँकि आमतौर पर इस राशि और नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों में आक्रामकता जैसे गुण प्रमुख होते हैं, लेकिन चंद्रमा जिस राशि में स्थित है और नक्षत्र स्वामी केतु जिस राशि में स्थित है, उसके अनुसार इसकी उपस्थिति भिन्न हो सकती है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले पुरुष जातकों की आँखें बड़ी और माथा चौड़ा होता है। नाक चेहरे के बाकी हिस्सों की तुलना में थोड़ी बड़ी और लंबी होती है।

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नक्षत्र

 संजय रथ  अप्रैल 14, 2013

नक्षत्र या चंद्र गृह, वैदिक ज्योतिष में प्रयुक्त आकाश के 27/28 भागों में से एक है, जिसकी पहचान उनमें स्थित प्रमुख तारों से होती है। ऐतिहासिक (मध्यकालीन) हिंदू ज्योतिष में उपयोग की पद्धति के आधार पर 27 या 28 नक्षत्रों की गणना की गई है। सर्वतोभद्र या ऐसे ही किसी चक्र का प्रयोग न किया जा रहा हो, तो नक्षत्रों की संख्या प्रायः 27 ही होती है। प्रत्येक नक्षत्र को 3°20’ के चतुर्थांशों या पादों में विभाजित किया गया है। चूंकि हर चीज़ की उत्पत्ति ध्वनि से होती है, इसलिए ये पद बनते हैं

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Name
Location (Sidereal Longitude)
Ruler
Pada 1
Pada 2
Pada 3
Pada 4

1
Aśvinī (अश्विनी)
0 – 13°20′ Aries
Ketu
चु Chu
चे Che

0 42

Nakṣatra: Lunar Houses of Sidereal Zodiac

 संजय रथ  जनवरी 14, 2013

Brhat Naksatra $7.53
God has decorated the heavens with constellations like pearls on dark steed. The light of the Sun hides them in the day, and all knowledge of them is divined in the darkens of the night’
…Maharishi Parasara, Rig-Veda
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