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होरा लग्न और घटिका लग्न

 संजय रथ  सितम्बर 18, 2013

होरा  शब्द अहो-रात्र से बनाहै, जिसमें से पहला (अ) औरआखिरी (त्र) अक्षर हट गए हैं। अहो शब्द का अर्थ दिन और रात्रि का अर्थ रात है, जिससे दिन का दिन और रात के दो भागों में विभाजन होता है। दिन का स्वामी सूर्य और रात्रि का स्वामी चंद्रमा होता है, जो इन समयों मेंआकाश में सब से चमकीले ग्रह होते हैं। भौतिक शरीर वाले सात ग्रहों (अर्थात सूर्य से शनि तक) पर विचार करें जो सप्ताह के दिनों के स्वामी हैं।

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विशेष लग्न

 संजय रथ  अगस्त 25, 2013

विशेष लग्नों की गणना महर्षि पाराशर ने की है और हम ‘विशेष’ शब्द का अर्थ समझने से शुरुआत करते हैं जिसका अर्थ है विशेष, विशिष्टता वाला। ये विशेष लग्न, लग्न से इस मायने में भिन्न हैं कि इनमें एक समान गति से पूर्णतः वृत्ताकार गति होती है। लग्न की औसत गति के सापेक्ष यह गति ही उस भाव को निर्धारित करती है जिससे वे जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, लग्न दिन के 24 घंटों में 12 राशियों का चक्कर लगाता है और इसकी ‘औसत गति’ 2 घंटे प्रति राशि होती है।

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नक्षत्र

 संजय रथ  अप्रैल 14, 2013

नक्षत्र या चंद्र गृह, वैदिक ज्योतिष में प्रयुक्त आकाश के 27/28 भागों में से एक है, जिसकी पहचान उनमें स्थित प्रमुख तारों से होती है। ऐतिहासिक (मध्यकालीन) हिंदू ज्योतिष में उपयोग की पद्धति के आधार पर 27 या 28 नक्षत्रों की गणना की गई है। सर्वतोभद्र या ऐसे ही किसी चक्र का प्रयोग न किया जा रहा हो, तो नक्षत्रों की संख्या प्रायः 27 ही होती है। प्रत्येक नक्षत्र को 3°20’ के चतुर्थांशों या पादों में विभाजित किया गया है। चूंकि हर चीज़ की उत्पत्ति ध्वनि से होती है, इसलिए ये पद बनते हैं